Thursday, 27 October 2016
Wednesday, 5 October 2016
The Great Samrat Ashok
विजय दशमी पर आप सभी को बधाई :- महान सम्राट अशोक की शिक्षा अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना।
सम्राट अशोक को बौद्ध होने और बौध धम्म के प्रचार-प्रचार का चर्चा प्रायः सभी लोग करते हैं लेकिन उन्होंने जनशिक्षा के लिए जितना महत्वपूर्ण काम किया, उतना विश्व के किसी राजा-महाराजा ने नहीं किया। उन्होंने कई शिक्षण संस्थान की स्थापना की ।
▪ 304 ई पू:अशोक का जन्म
▪ 286 ई पू: अशोक को अवंति का उपराजा बनाया गया । विदिशा की सेठ कन्या देवी के साथ उनका विवाह हुआ। यही देवी बाद में महादेवी नाम से ख्यात हुई जिससे महेंद्र नामक पुत्र का जन्म 284 ई. पूर्व हुआ।
▪ 284 ई पू: अशोक ने उज्जैन अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना की।
▪ 282 ई पू:राजकुमार महेंद्र व राजकुमारी संघमित्रा के जन्म की खुशी में उज्जैन विश्वविद्यालय और सांची अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना की.।
▪ 280 ई पू:तक्षशिला में भारी जनाक्रोश वहां के उपराजा सुशीम के कारण उभरा। जनाक्रोश शान्त नहीं हुआ तब राजा बिन्दुसार ने अशोक को तुरंत तक्षशिला जाकर उभरे भारी जनाकोश को शांत करने का आदेश दिया। अशोक उज्जैन से पिता राजा बिन्दूसार से राजगृह में मिले और आज्ञा लेकर तक्षशीला गए। तक्षशिला के वासियों को राजकुमार के राज नेतृत्व की जैसे ही खबर मिली, जनता उल्लास से भर गयी। तक्षशिला जाते ही राजकुमार अशोक क्षेत्र का अनवरत दौरा कर जनता से मिले और उनकी शिकायतें सुनकर सुशासन, सुव्यवस्था का भरोसा दिया।
▪ 279 ई पू:अशोक गंधार में अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना की.
▪ 270 ई पू: अशोक राज्याभिषेक होने की अतिशय प्रसत्रता में सम्राट ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की।
दूसरी शताब्दी में पैदा हुए नागार्जुन इस विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे है। ब्राह्मण इतिहासकार इस विश्विद्यालय को गुप्तकाल से जोड़ते है जो कि गलत है।
▪ 268 ई पू:अशोक उदन्तपुर विश्वविद्यालय की स्थापना।
▪ 266 ई पू:सारनाथ अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना।
▪ 265 ई पू:मथुरा अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना।
▪ 264 ई पू:दन्तपूर अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना(राजकुमार महेंद्र और राजकुमारी संघमित्रा के बौद्ध धम्म के प्रसार के निर्मित भिक्षु बनने पर अतिशय उल्लास में दंतपुर (कलिंग देश की राजधानी) में अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना की गई थी।
▪ 263 ई पू:सारनाथ अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना ।
▪ 286 ई पू: अशोक को अवंति का उपराजा बनाया गया । विदिशा की सेठ कन्या देवी के साथ उनका विवाह हुआ। यही देवी बाद में महादेवी नाम से ख्यात हुई जिससे महेंद्र नामक पुत्र का जन्म 284 ई. पूर्व हुआ।
▪ 284 ई पू: अशोक ने उज्जैन अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना की।
▪ 282 ई पू:राजकुमार महेंद्र व राजकुमारी संघमित्रा के जन्म की खुशी में उज्जैन विश्वविद्यालय और सांची अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना की.।
▪ 280 ई पू:तक्षशिला में भारी जनाक्रोश वहां के उपराजा सुशीम के कारण उभरा। जनाक्रोश शान्त नहीं हुआ तब राजा बिन्दुसार ने अशोक को तुरंत तक्षशिला जाकर उभरे भारी जनाकोश को शांत करने का आदेश दिया। अशोक उज्जैन से पिता राजा बिन्दूसार से राजगृह में मिले और आज्ञा लेकर तक्षशीला गए। तक्षशिला के वासियों को राजकुमार के राज नेतृत्व की जैसे ही खबर मिली, जनता उल्लास से भर गयी। तक्षशिला जाते ही राजकुमार अशोक क्षेत्र का अनवरत दौरा कर जनता से मिले और उनकी शिकायतें सुनकर सुशासन, सुव्यवस्था का भरोसा दिया।
▪ 279 ई पू:अशोक गंधार में अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना की.
▪ 270 ई पू: अशोक राज्याभिषेक होने की अतिशय प्रसत्रता में सम्राट ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की।
दूसरी शताब्दी में पैदा हुए नागार्जुन इस विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे है। ब्राह्मण इतिहासकार इस विश्विद्यालय को गुप्तकाल से जोड़ते है जो कि गलत है।
▪ 268 ई पू:अशोक उदन्तपुर विश्वविद्यालय की स्थापना।
▪ 266 ई पू:सारनाथ अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना।
▪ 265 ई पू:मथुरा अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना।
▪ 264 ई पू:दन्तपूर अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना(राजकुमार महेंद्र और राजकुमारी संघमित्रा के बौद्ध धम्म के प्रसार के निर्मित भिक्षु बनने पर अतिशय उल्लास में दंतपुर (कलिंग देश की राजधानी) में अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना की गई थी।
▪ 263 ई पू:सारनाथ अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना ।
▪ 260 ई पू:नागरा अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना(नागरा, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित हैं आज के गोदिंया जिला से 8 किमी की दूरी पर स्थित हैं) और पवनी ( यह भंडारा जिला, महाराष्ट्र में स्थित हैं) ।
▪ 258 ई पू:श्रीनगर अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना(श्रीनगर का प्राचीन नाम प्रवरपूर था प्रवरपूर का ही अशोक कालीन परिवर्तित नाम श्रीनगर रखा गया. यह स्थान अदितीय धन -धान्य से भरपूर था. इस कारण इस महारमणीक स्थान का नाम सम्राट अशोक ने श्रीनगर रखा. कश्मीर, जम्मू का पूरा पूरा इलाका बौद्धमय था. कश्मीर को सम्राट कनिष्क ने बसाया और बढाया था. कनिष्क बहुत प्रसिद्ध बौद्ध धर्मी सम्राट थे. सम्राट कनिष्क के नाम पर इस नगर का नाम कनिष्कपूर था. यही कनिष्कपूर आज का कश्मीर नगर हैं. कश्मीर राज्य हैं)
▪ 257 ई पू:गिरनार अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना (गुजरात प्रान्त के जूनागढ़ के पास हैं. गिरनार में जो प्रसिद्ध शिलालेख मिला हैं, वह गिरनार के बौद्ध अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) में ही लगाया गया था. गिरनार का शिलालेख बहुत ही प्रसिद्ध शिलालेख हैं)।
▪ 256 ई पू:एरागुंडी अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना(आंध्रप्रदेश की कुर्नल जिला में हैं.256 ई पू मे सम्राट अशोक ने बहुत विशाल अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना की .यहां भी जनशिक्षा के लिए उन्होंने विशाल शिलालेख यानी पत्थर की किताब को गडवाया)
▪ 255 ई पू :गुन्टू अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना(पालकी गुण्टू मैसूर के पास कोपबल तहसील में हैं. मैसूर के पास कई सौ गावों में एक साथ सम्राट अशोक ने अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना करायीं .सभी विद्यापीठों में पत्थर की किताबों का पुस्तकालय बना दिया. इन्हीं किताबों को राज कर्मचारी छागड पर लादकर बांव ले जाकर लोगों को पत्थर की किताबें पढाकर उस पर अमल करने का निवेदन किया करते थे)
▪ 250 ई पू: बोधगया महाबोधि विहार की स्थापना. अशोक ने तीसरी बौद्ध संगीती की याद में बोधगया महाबोधि विहार की स्थापना की .यह आज प्राचीनतम बुद्ध मंदिर के नाम से भारत में मशहूर हैं पुरानी इमारत हैं.।
▪ 258 ई पू:श्रीनगर अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना(श्रीनगर का प्राचीन नाम प्रवरपूर था प्रवरपूर का ही अशोक कालीन परिवर्तित नाम श्रीनगर रखा गया. यह स्थान अदितीय धन -धान्य से भरपूर था. इस कारण इस महारमणीक स्थान का नाम सम्राट अशोक ने श्रीनगर रखा. कश्मीर, जम्मू का पूरा पूरा इलाका बौद्धमय था. कश्मीर को सम्राट कनिष्क ने बसाया और बढाया था. कनिष्क बहुत प्रसिद्ध बौद्ध धर्मी सम्राट थे. सम्राट कनिष्क के नाम पर इस नगर का नाम कनिष्कपूर था. यही कनिष्कपूर आज का कश्मीर नगर हैं. कश्मीर राज्य हैं)
▪ 257 ई पू:गिरनार अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना (गुजरात प्रान्त के जूनागढ़ के पास हैं. गिरनार में जो प्रसिद्ध शिलालेख मिला हैं, वह गिरनार के बौद्ध अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) में ही लगाया गया था. गिरनार का शिलालेख बहुत ही प्रसिद्ध शिलालेख हैं)।
▪ 256 ई पू:एरागुंडी अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना(आंध्रप्रदेश की कुर्नल जिला में हैं.256 ई पू मे सम्राट अशोक ने बहुत विशाल अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना की .यहां भी जनशिक्षा के लिए उन्होंने विशाल शिलालेख यानी पत्थर की किताब को गडवाया)
▪ 255 ई पू :गुन्टू अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना(पालकी गुण्टू मैसूर के पास कोपबल तहसील में हैं. मैसूर के पास कई सौ गावों में एक साथ सम्राट अशोक ने अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना करायीं .सभी विद्यापीठों में पत्थर की किताबों का पुस्तकालय बना दिया. इन्हीं किताबों को राज कर्मचारी छागड पर लादकर बांव ले जाकर लोगों को पत्थर की किताबें पढाकर उस पर अमल करने का निवेदन किया करते थे)
▪ 250 ई पू: बोधगया महाबोधि विहार की स्थापना. अशोक ने तीसरी बौद्ध संगीती की याद में बोधगया महाबोधि विहार की स्थापना की .यह आज प्राचीनतम बुद्ध मंदिर के नाम से भारत में मशहूर हैं पुरानी इमारत हैं.।
▪ 245 ई पू:जगदलपुर विश्वविद्यालय की स्थापना .आज यह स्थान बंगलादेश में हैं.
▪ 243 ई पू: कौशाम्बी अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना .अशोक के समय कोशाम्बी बहुत ही प्रसिद्ध नगर था. बौद्ध संस्कृति के लिए यह स्थान ख्याति प्राप्त था.इलाहाबाद से 30 किमी पशिम कोशाम्बी नगर स्थित हैं.
▪ 240 ई पू: विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना .विक्रमशिला बिहार राज्य की भागलपुर जिला में अवस्थित हैं.अशोक काल में विक्रमशिला बहुत ही प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र था. इस प्रकार अशोक कालीन शिक्षा विस्तार के अध्ययन से यह पता चलता हैं कि भारत के कोने-कोने में सम्राट अशोक ने विद्यापीठ की स्थापना की. जहां -जहां विद्यापीठ बनें वहां निश्चित रूप से बौद्ध विहार बनाया गया. विदानों की सर्वसम्मत राय है कि अशोक ने अपने समय करीब 84000 स्तूप ,अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) बनवाये थे।
▪ 243 ई पू: कौशाम्बी अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) की स्थापना .अशोक के समय कोशाम्बी बहुत ही प्रसिद्ध नगर था. बौद्ध संस्कृति के लिए यह स्थान ख्याति प्राप्त था.इलाहाबाद से 30 किमी पशिम कोशाम्बी नगर स्थित हैं.
▪ 240 ई पू: विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना .विक्रमशिला बिहार राज्य की भागलपुर जिला में अवस्थित हैं.अशोक काल में विक्रमशिला बहुत ही प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र था. इस प्रकार अशोक कालीन शिक्षा विस्तार के अध्ययन से यह पता चलता हैं कि भारत के कोने-कोने में सम्राट अशोक ने विद्यापीठ की स्थापना की. जहां -जहां विद्यापीठ बनें वहां निश्चित रूप से बौद्ध विहार बनाया गया. विदानों की सर्वसम्मत राय है कि अशोक ने अपने समय करीब 84000 स्तूप ,अध्ययन केंद्र (बौद्ध विहार) बनवाये थे।
जय धम्म अशोक।
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